लता हिरानी ~ तेरा नाम * Lata Hirani
तेरा नाम लिपट जाता है बदन से धूप के नन्हे से टुकड़े की तरह…… तेरा नाम हल्के से ओढ़ लेती हूँ ठिठुरी हुई जान पर जब सहम और सूनेपन का कुआँ भर जाता है……. तेरा नाम हिज्र की रात में ओस की बूंद बनकर टपकता है मैं उसे पी लेती हूँ और जी लेती हूँ…….
