ભરત વ્યાસ ~ ए मालिक * Bharat Vyas
ए मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हो हमारे, करमनेकी पर चले और बदी से टले,ताकि हंसते हुए निकले दम…. ये अंधेरा घना छा रहा, तेरा इंसान घबरा रहावो रहा बेखबर, कुछ न आता नजर, सुख का सूरज छिपा जा रहाहै तेरी रोशनी में जो दम,तो अमावस को कर दे पुनमनेकी पर चले और बदी से
